प्रकृति से प्रेम तो सभी करते है लेकिन कुछ लोगों का प्रेम जुनून में बदल जाता है, आज बात करते है प्रकृति प्रेमी जिन्हे हम रंगों के सौदागर भी बोल सकते है घुम्मकड़ी प्रवृति के ऐसे पहाड़ी से जिन्होंने अपनी प्रतिभा से प्रकृति के सुन्दर रंगों को हम तक पहुंचाया है जिनकी फोटोग्राफी की भी चर्चा पूरे कुमाऊ में है।
आइए जानते है पिथौरागढ़ जिले के छोटे से कस्बे थल के निवासी मदन उपाध्याय (Madan Upadhyay) जी के बारे मैं इनकी प्रारंभिक शिक्षा जीआईसी थल तथा स्नातक नैनीताल यूनिवर्सिटी से पास की। एक पहाड़ी होने के नाते बचपन से ही इनको प्रकृति के प्रति काफी लगाव रहा है। इनको फोटोग्राफी करना भी काफी काफी पसंद है। साथ ही ये एक आत्मनिर्भर भारत के साथ स्व रोजगार से लोगों को प्रेरित करते है साथ ही ये उन्नति स्वायत्य सहकारिता थल के अध्यक्ष भी है । स्व रोजगार के तौर पर इन्होंने भिभन्न प्रकार के पुष्पों के बागान लगाए है जिनमें मुख्य रूप से लिलियम के पुष्पों की खेती है।
रंगों के सौदागर
रंगों की बात करे तो बीते वर्ष जैविक रंगों को भी मदन और उसकी टीम ने एक नई पहचान दी है, जैविक रंगो से ना तो प्रकृति को कोई नुकसान होता है ना ही इसको प्रयोग करने वाले को कोई नुकसान होता है। जैविक रंगों की होली के समय पर काफी मांग होती है। जिसमें केमिकल का बिल्कुल भी उपयोग नहीं होता ना ही चूने पत्थर का प्रयोग होता है, ये रंग प्राकृतिक तौर पर बनाए जाते है जिसमे मक्के तथा चावल के आटे का प्रयोग होता है। बीते होली के सीजन में इन रंगों की आस पास के क्षेत्रों में काफी अच्छी मांग हुई है।
साथ ही देखते है मदन द्वारा ली गई कुछ सुन्दर तस्वीरें
Madan Upadhyay Madan Upadhyay Madan Upadhyay Madan Upadhyay