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Poetry

Himanshu Pathak's Writings - Pahadi Log

अग्निवीर – दुश्मन की एक गोली, जब सैनिक के सीने, में, थी लगी। Poem by Himanshu Pathak

दुश्मन की एक गोली, जब सैनिक के सीने, में, थी लगी। लहू के फव्वारे के संग, उसके जज्बातों की भी, थी, झड़ी लगी। माँ का… Read More »अग्निवीर – दुश्मन की एक गोली, जब सैनिक के सीने, में, थी लगी। Poem by Himanshu Pathak

Apun Pahada - Pahad se

इस पहाड़ ने क्या-क्या देखा है… Beautiful poem by Kartik Bhatt

इस पहाड़ ने क्या-क्या देखा है.. नदियों को निकलते देखा है… पानी को फिसलते देखा है.. ज़रूरतों का आभाव भी देखा है… पलायन का घाव… Read More »इस पहाड़ ने क्या-क्या देखा है… Beautiful poem by Kartik Bhatt

Lost in Life, Come Back

लौटने की तैयारी.. जीवन यात्रा में | Poetry by Mohan Negi

मैं मोहन नेगी आज आप के साथ अपनी कुछ  यादों के लम्हों को “पहाडी लोग” ब्लॉग के द्वारा कहने की कोशिश कर रहा हूँ। हम… Read More »लौटने की तैयारी.. जीवन यात्रा में | Poetry by Mohan Negi

Kartik Bhatt - Writer @ Pahadi Log

फिर जवानी नीचे भागती है, और बुढ़ापा ऊपर बैठा बस राह तकता है | poem by Kartik Bhatt

वो जो देखा था हमने एक सपना, कि कैसा होगा अलग प्रदेश अपना.. वो सपना रोज़ टूटता हैं, जब गाँव किसिका छूटता… जब मजबूरियाँ किसी… Read More »फिर जवानी नीचे भागती है, और बुढ़ापा ऊपर बैठा बस राह तकता है | poem by Kartik Bhatt

Himanshu Pathak's Writings - Pahadi Log

मोहनदा पुरानी सी बाइक में सवार हो पहुँच जाते बचदा की दुकान । by Himanshu Pathak

मोहनदा, नीली जींस, लाल टी-शर्ट पहने हुऐ व साथ में नीलें स्पोर्ट्स के जूते। मोहनदा की आँखों  में काला चश्मा, सिर में देवानन्द स्टाइल हेट,… Read More »मोहनदा पुरानी सी बाइक में सवार हो पहुँच जाते बचदा की दुकान । by Himanshu Pathak

Pahadi Log, Migrate Image Issue

ये हाल देख के मेरा पहाड़ भी रो गया – poem by Kartik Bhatt

वो कभी घर हुआ करता था हमारा पर आज वो खंडहर है, वहाँ कभी खेत हुआ करते थे हमारे पर आज वो सब बंजर है|… Read More »ये हाल देख के मेरा पहाड़ भी रो गया – poem by Kartik Bhatt

Kartik Bhatt Insaan Jo Bhaaga

इन्सान जो ये भागा है…वो कभी तो लौटकर आयेगा | a Poetry by Kartik Bhatt

इन्सान जो ये भागा है वो देखो कब तक भागेगा | वो दूर शहर में जो सोया है वो कभी तो नींद से जागेगा |… Read More »इन्सान जो ये भागा है…वो कभी तो लौटकर आयेगा | a Poetry by Kartik Bhatt

Himanshu Pathak's Poem

अतीत के पथ पर – हिमाँशु पाठक जी की कलम से

फुरसत के क्षण हैं। चलो! चलते हैं, सैर पर, अतीत के पथ पर। जहाँ होंगी स्मृतियों के, सुगंधित रंग-बिरंगे पुष्प, पग-पग पर, पथ पर। तितलियाँ… Read More »अतीत के पथ पर – हिमाँशु पाठक जी की कलम से

Welcome Poem | Himanshu Pathak

आओ रे आओ सखी आओ, मंगल गीत गाओ, प्रज्वलित करों मंगल दीप – Welcome Poem by Himanshu Pathak

आगतम, आगतम, आगतम, शुभ स्वागतम। सुस्वागतम्, आगतम, शुभ स्वागतम, त्वम् आगतम आओ रे आओ सखी आओ, मंगल गीत गाओ। प्रज्वलित करों मंगल दीप। तुम तौरण… Read More »आओ रे आओ सखी आओ, मंगल गीत गाओ, प्रज्वलित करों मंगल दीप – Welcome Poem by Himanshu Pathak