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Poetry

a Gulp of Tea | Pahadi Log

फुरसत के क्षणों में, दोस्तों के साथ जब में | चाय की चुस्की

चाय की चुस्की फुरसत के क्षणों में, दोस्तों के साथ जब में । सैर पर जाता हूँ, अतीत की तो बैठ जाता हूँ । ठहर… Read More »फुरसत के क्षणों में, दोस्तों के साथ जब में | चाय की चुस्की

Apun Pahada - Pahad se

“आपुण पहाड़ा” – हिमाँशु पाठक जी की रचना

हीटो दाज्यू, हीटो भूला, हीटो दीदी, हीटो बैंणा। लौट-जाणु हम संग-दगाड़ा। लौट-जाणु हम आपुण पहाड़, बुलुण लागि रे हमुण पहाड़ा।। बचपन क दिन, संगी-दगाड़ा कै… Read More »“आपुण पहाड़ा” – हिमाँशु पाठक जी की रचना

Himanshu Pathak's Writings - Pahadi Log

 “कुसुम दी” – हिमाँशु पाठक जी की कलम से

कुसुम दी सुबह के समय बरसात के मौसम में, मैं अपने बरामदें में बैठकर, सुबह समाचार-पत्र में खोया हुआ था। बाहर बारिश हो रही थी,… Read More » “कुसुम दी” – हिमाँशु पाठक जी की कलम से

Kundi, Pahadi Log a Poem by Swati Yarso

उस एक पल दहक सी गयी जब कुंडी ने अपना ही काम किया… a Poem by Swati Yarso

उस एक पलदहक सी गयीजब कुंडी नेअपना हीकाम किया | कितना भयावह हैकुछ घंटों के लिएअनचाहेबंदी बन जाना | बंद गुसलखाना मेंबंदीकोई और भी हैजिन्हें… Read More »उस एक पल दहक सी गयी जब कुंडी ने अपना ही काम किया… a Poem by Swati Yarso

Radha Bangari, Pahadi Log Poetry

अगर देखो कभी गौर से तो तुम्हे मेरा हर दर्द दिखाई देगा… राधा बंगारी जी की कलम से

देखो कभी जो गौर से मुझे, मेरा हर दर्द दिखाई देगा,कुछ न कह कर भी तुम्हे मेरा, हर दर्द सुनाई देगा। इन बंद दरवाज़ो की… Read More »अगर देखो कभी गौर से तो तुम्हे मेरा हर दर्द दिखाई देगा… राधा बंगारी जी की कलम से

Poetry by Himani Arya, Pahadi Log

घरौंदा, एक चिड़िया थी… a Poetry by Er Himani Arya

एक चिड़िया थीचहक उठी जोपाकर पंख अपारउड़ी उड़ी वोछूने नभ कोेउड़ गयी सात समंदर पार || सारा जग घूम लियाछाना सारा संसारअनुभव सारे जहाँ का… Read More »घरौंदा, एक चिड़िया थी… a Poetry by Er Himani Arya