हीटो दाज्यू, हीटो भूला,
हीटो दीदी, हीटो बैंणा।
लौट-जाणु हम संग-दगाड़ा।
लौट-जाणु हम आपुण पहाड़,
बुलुण लागि रे हमुण पहाड़ा।।
बचपन क दिन, संगी-दगाड़ा
कै भली दिन छीन उनके दगाड़ा,
घाम पै बैठी बैरन खाछया मिलबैरिन
हिसाऊ, किल्माड़ा, आपण पहाड़ा।।
कै भली लागुछ्य आपण पहाड़ा।
बुलुण लागि रे हमुण पहाड़।।
हीटो हो लौटी जाणु संग-दगाड़ा।
हम पहाड़। हो आपण पहाड़ा।।
दाज्यू तुम डबला में रणी ग्योछ्या।
शहर की चकाचौंध में भवरी ग्योछ्या।
याद छू दाज्यू तुमन के मडुव का रवाटा
खा छ्या जब तुम घी क डाव और गुड़ क दगाड़ा
भूल गा दाज्यू तुम पहाड़ा, आपण पहाड़ा।
बुलुण लागि रे हमुण पहाड़, हमुण पहाड़ा।।
हो भूला याद छु तुके पहाड़ क स्वादा,
भट की च्यूलकांढ़ी, पालक के कांपा,
खाँ छ्या मिलबेरन भात के दगाड़ा।
भट के ज्यौला, नुण क दगाड़ा।
मिलबर खाछया हम दगाड़, आपण पहाड़,
आपण पहाड़, बुलुण छै आपुण पहाड़ा।
दीदी तू के भूली गे छी आपुण पहाड़ा।
नींबू साढ़ी खा छ्या जब हम जाड़ों न घामा।
आम, बुबु, संग ईजा बोज्यू संग सेक छ्या सगड़ा।
आपुण पहाड़, बुलुण छै हमे क आपुण पहाड़ा।
बैणी तू के याद छू कौतिक उत्तरेणी,
ठंडी-ठंडी हाव, मीठो-मीठो पाणी।
नंदादेवी कौतिक देखुण, आछा जब अल्माड़ा।
बाल, सिगौढ़ खा छ्या गडबडान दूध क दगाड़ा।
आपुण पहाड़ बुलुण लागि रे छौ हमुण पहाड़ा।
हीटो हो लौटी जाणु संग पहाड़ा।
हीटो हो लौटी जाणु संग पहाड़ ।
हीटो हो लौटी जाणु संग पहाड़।।।