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आओ रे आओ सखी आओ, मंगल गीत गाओ, प्रज्वलित करों मंगल दीप – Welcome Poem by Himanshu Pathak

Welcome Poem | Himanshu Pathak

आगतम, आगतम, आगतम, शुभ स्वागतम।

सुस्वागतम्, आगतम, शुभ स्वागतम, त्वम् आगतम

आओ रे आओ सखी आओ, मंगल गीत गाओ।

प्रज्वलित करों मंगल दीप। तुम तौरण द्वार सजाओ।।

वंदन-वार सजाओ, रे सखी तुम रंगों से रंगोली बनाओ

नेह की मुस्कान फैला कर आज करो तुम स्वागतम।

आगतम, आगतम, आगतम आगतम शुभस्वागतम।।

स्वागतम आगतम शुभस्वागतम सुस्वागतम्।।

आ रहे हैं आज भगवन, पुष्प से पथ को सजाओ।।

तिलक, रोली, चंदन, पुष्प की थाल सखी तुम सजाओ।

शहनाई की मधुर धुन से पुलकित हो तन और मन। नृत्यमय वातावरण से घर में आनन्द लाओ

आगंतुक का आगमन हो तो कहो तुम आगतम

आरती की थाल लेकर करते हैं हम स्वागतम।

आगतम, आगतम, आगतम, शुभ स्वागतम।

धन्यभाग हमारे, आप जो द्वार पर पधारें।

हे आगन्तुक धन्यवाद जो आप घर पर विराजे।

आपके इस कृतार्थ से जगे आज भाग हमारे।

आपके इस आगमन पर करते हम स्वागतम।

आगतम, आगतम, आगतम, शुभस्वागतम।

सुस्वागतम्, शुभस्वागत, आगतम आगतम।।

आसन हमने लगाया, भोजन थाल सजाया।

हे पथिक, है कठोर पद, और कोमल पदगामी।

थके होंगे आप, हे पथिक, आऐं चल कर दूर से,

परिमल जल से चरण धोकर, करें आपका स्वागतम।

आगतम, आगतम, आगतम, स्वागतम, शुभस्वागतम।

स्वागतम, सुस्वागतम्, आगतम, शुभस्वागतम।।