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अतीत के पथ पर – हिमाँशु पाठक जी की कलम से

Himanshu Pathak's Poem

फुरसत के क्षण हैं।

चलो! चलते हैं, सैर पर,

अतीत के पथ पर।

जहाँ होंगी स्मृतियों के,

सुगंधित रंग-बिरंगे पुष्प,

पग-पग पर, पथ पर।

तितलियाँ उड़ रही होंगी,

रंग-बिरंगी, स्वागत में हमारे।

सप्त-रंगो से सज्जन, इन्द्रधनुष,

पसरा होगा, स्वच्छ, धूमिल नभ पर।

फुरसत के क्षण हैं,

चलो! चलते हैं सैर पर,

अतीत के पथ पर।

आज समय भी है, और हम भी,

समय बीत जायेगा,

हम बिछुड़ जायेंगे, हमेशा के लिए।

कब समय बीत जायेगा,

बन्द मुट्ठी में रेत की तरह,

बातों ही बातों में,

जी नहीं चाहेगा, लौटकर जाना,

वापस वर्तमान के पथ पर,

तपिश धूप में झूलसने को।

मृदुल स्मृतियों की शीतल,

व मंद बयार प्रफुल्लित करती हैं,

ये पल गुदगुदायेगा मन को,

और करेगा शीतलता प्रदान

जब मन झूलस रहा होगा,

चलते-चलते यथार्थ के पथ पर।

फुरसत के क्षण हैं,

चलो! चलते हैं, सैर पर,

अतीत के पथ पर।

स्मृतियों के साथ,

आपके संग, सैर पर,

अतीत के पथ पर।।