28 सितंबर, महज़ 24 वर्ष की आयु में देश पर कुर्बान होने वाले अमर शहीद भगत सिंह की जन्म जयंती है। भगत सिंह अपने तेज़ दिमाग और तेज़ तर्रार स्वभाव के लिए जाने जाते थे। ब्रिटिश हुकुमत उनके नाम से काँप उठती थी।
भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर, 1907 को लायलपुर ज़िले के बंगा में हुआ था, जो अब पाकिस्तान में है | उनका पैतृक गांव खट्कड़ कलाँ है जो पंजाब, भारत में है | उनके पिता का नाम किशन सिंह और माता का नाम विद्यावती था। कहते हैं कि “पूत के पाँव पालने में ही दिखाई पड़ जाते हैं” इस लोकोक्ति को पूर्णतः चरितार्थ करते हैं, सरदार भगत सिंह।
एक बार इनके पिता जी इन्हें अपने मित्र मेहता जी के खेत में ले गये, जब इनके पिता और उनके मित्र आपसी वार्तालाप करने लगे तो भगत सिंह खेल खेल में खेत में तिनके बोने लगे. जब मेहता जी ने इनसे पूछा कि बेटा क्या कर रहे हो. तब इस नन्हे देशभक्त का उत्तर था – बंदूकें बो रहा हूँ | मेरा लक्ष्य है भारत को स्वतंत्रता दिलाना, इस बात को सुनकर श्री नंद किशोर मेहता जी जो स्वयं एक राष्ट्रवादी विचारों से ओत – प्रोत व्यक्ति थे, बड़े प्रसन्न हुए और उन्होंने बालक भगत को गोद में उठा लिया और कहा “देशभक्तों में इसका नाम अमर होगा”। जो भविष्यवाणी कालांतर में सत्य सिद्ध हुई |
भगत सिंह खुद अपने आप को शहीद कहा करते थे, जिसके बाद उनके नाम के आगे ये जुड़ गया | आज के वर्तमान समय में भी भगत जितना प्रासंगिक है, उतना ही भविष्य में भी रहेगा | इस बात पर कोई दो राय नहीं है, बस आवश्यकता इस बात कि है कि हम लोग उनके जीवन समर्पण, त्याग और बलिदान से कितनी सीख ले रहे हैं या ले पाते हैं। उनके विषय में कवि ने उचित ही कहा है |
“मुक्ति से था प्रेम उनको, बेड़ियाँ चुभती रहीं।
चाल उनकी देख सदियाँ, हैं यहाँ झुकती रहीं ||
मृत्यु से अभिसार उनका, लोभ जीवन तज गया।
आज भी जो गीत बनकर, हर अधर पर सज गया”।|