रामसर सम्मेलन पर 1971 में हस्ताक्षर किए गए और इसे आर्द्रभूमि के संरक्षण के लिए सबसे पुराने अंतर – सरकारी समझौते में से एक माना जाता है। यह ईरानी शहर रामसर में हस्ताक्षरित था और इसका उद्देश्य मानव जीवन को बनाए रखने के लिए जैविक विविधता के संरक्षण के लिए आर्द्रभूमि का एक वैश्विक नेटवर्क विकसित करना था। देहरादून ज़िले के रामसर कनवेंशन ने विकासनगर स्थित आसन कंजर्वेशन रिज़र्व को अंतरराष्ट्रीय महत्व की साइट घोषित किया है। अब यह उत्तराखंड का पहला रामसर साइट (Ramsar Site) बन गया है।
आसन झील (Aasan Lake) के आसपास फैले इस रिज़र्व में विदेशी पक्षियों की 54 से अधिक प्रजातियां प्रवास के लिए हर साल यहां आती हैं। पक्षियों की 330 से अधिक प्रजातियों के लिए घर और लगभग 59.05 हेक्टेयर भूमि में फैले हुए, एसीआर (ACR) कई खतरनाक और गंभीर रूप से लुप्तप्राय प्रजातियों की मेजबानी करता है, जैसे कि एक सफेद रंबल गिद्ध (जिप्स बेंगाल्सी), सुर्ख बल्डॉक, बेयर पोचर्ड (अयथ्या बेरी), लाल सिर वाली गिद्ध, (सरकॉगिप्स कैल्वस), मिस्र के गिद्ध (नियोफ्रॉन पर्कोनोप्टस) और एशियन वुलीनकेक (सिसोनिया एपिस्कोपस) आदि। मध्य एशिया समेत चीन, रूस आदि देशों से ये विदेशी मेहमान नवंबर में आना शुरू करते हैं और फरवरी तक यहीं रहते हैं। इससे उत्तराखंड का ही नहीं बल्कि देश का भी गौरव बढ़ा है।
“एसीआर(ACR) को अंतर्राष्ट्रीय महत्व के वेटलैंड के रूप में चिह्नित किया गया है, हम जल्द ही पक्षियों के साथ-साथ बर्डवॉचर्स के लिए क्षेत्र में सुविधाओं को जोड़ने जा रहे हैं।” जेएस सुहाग, मुख्य वन्यजीव वार्डन उत्तराखंड ने कहा। इस उपलब्धि के लिए सतपाल महाराज ने प्रदेश की जनता को बधाई दी है । इससे राज्य में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और स्थानीय युवक भी स्वरोज़गार से जुड़ेंगे।
वन अधिकारियों ने कहा “विशेष रूप से, उत्तराखंड लगभग 178 वेटलैंड्स का घर है, और इसके वेटलैंड्स के लिए इस तरह की अधिक पहचान प्राप्त करने की प्रबल संभावना है।”