वैसे तो पिथौरागढ़ एक अलग जिला अल्मोड़ा से अलग होकर 1960 में बना था पर यहाँ पर जो बस सेवा पहली बार शुरू हुई थी वो 1951 में हुई थी। यहाँ के लोगो का मानना है कि पहली बस सेवा के.एम्.ओ. यू की थी। पहली बार जब बस पिथौरागढ़ में आयी थी तो इस बस को यहाँ के वासियों द्वारा देखना किसी अजूबे से कम नही था। सारे कस्बे, स्कूल, सरकारी दफ्तर, स्वास्थ्य सेवाएं बंद कर इसे एक महोत्सव की तरह इसका भव्य स्वागत किया गया था। बस को विभिन्न प्रकार के फूल एवं उनकी माला बनाकर, इसके इंजन को रंग लगाकर, नाच गाने और ढोल बजाकर भव्य स्वागत किया गया। इसी के बाद से ही पिथौरागढ़ में विकास को एक नयी गति मिली।
पूरे उत्तराखंड में सड़क निर्माण कार्य वैसे अंग्रेजो के समय वर्ष 1800 से ही शुरू हो चुका था । पिथौरागढ़ जिला बनने से पहले टनकपुर सबसे विकसित क्षेत्र हुआ करता था । लोग यहाँ से व्यपार करने वहाँ जाया करते थे। पुराने ज़माने में यहाँ पर व्यपार घोड़ो पे किया जाता था। सारे लोग अपने अलग-अलग समूह बनाकर घोड़ो एवं खच्चरों पर लादकर पैदल यात्रा करते थे। कभी मौसम भी खराब होने से कच्चे पुल और रास्तों को भी पार करने के लिए बहुत समस्याएं उठानी पड़ती थी | 1950 – 51 के आस पास ही पिथौरागढ़ क्षेत्र को टनकपुर से जोड़ा गया था तथा जब यह अल्मोड़ा से अलग हुआ था तब पिथौरागढ़ को अल्मोड़ा से जोड़ा गया था। यातायात परिवहन के संचालन शुरू होने के बाद से ही यहाँ के विकास कार्यो में वृद्धि हुयी। सडको का विकास, चिकित्सा व्यवस्था, स्कूल आदि अनेक कार्यो को नई दिशा मिली।