घिंघारू मध्य हिमालयन झाड़ी है, जो मूल रूप से पहाड़ी क्षेत्रों में पाया जाता है इसके फल दिखने में बहुत छोटे और सुन्दर होते है। शुरुवात में हरे तथा पकने के बाद यह लाल हो जाता है। इसको जब फल आता है तब यह झाड़ी सिर्फ छोटे छोटे लाल फलों से ढक जाती है जो दिखने में काफी सुन्दर होते है। पहाड़ों में घिंघारू की पत्तियां बकरियों का पसंदीदा चारा है।
आयुर्वेदिक औषधि
घिंघारू के फलों में उक्त रक्तचाप और हाइपरटेंशन जैसी बीमारी को दूर करने की क्षमता है। जबकि पत्तियां एंटी ऑक्सीडेंट का काम करती है साथ ही सौंदर्य प्रसाधन और कॉस्मेटिक्स बनाने के उपयोग में भी लाई जाती है। घिंघारू की छाल का काढ़ा स्त्री रोगों के निवारण में लाभकारी होता है।
अन्य महत्व
घिंघारू का तना काफी मजबूत और लम्बा होता है जो पहाड़ों में प्रमुख रूप से गेहूं के फसल की कुटाई में भी कारगर है साथ ही बूढ़े लोगों के जीवन का सहारा बोले तो उनके लिए लाठी का पहला विकल्प घिंघारु का तना ही है। साथ ही खेतों में जानवरों के जाने से रोकने के लिए इस झाड़ी का बखूबी उपयोग होता है |
कुलमिलाकर कहे तो यह एक ऐसी झाड़ी है जिसका जड़, तना, फल एवं पत्ते सारी चीजे बहुत उपयोगी है।