कोरोना काल में लगे लॉकडाऊन को एक साल पूरा हो चुका है। हमारे कई बंधु सपरिवार लॉकडाऊन की पीड़ा से ग्रस्त हो अपना सब कुछ खोकर वापस उत्तराखंड लौट आए हैं। तो आज ये मेरा होली का आमन्त्रण उनके लिए ही है।
आज होली है। आप सभी बाहर से आए उत्तराखंड के वासियों को मेरा स्नेह आमन्त्रण है।
आप आएँगे ना। हमें अति प्रसन्नता होगी कि आज फिर ना जाने कितने वर्षों बाद आप और हम मिलकर अपनी होली की सांस्कृतिक पहचान को एक बार पुनः जीवन्त करेंगें, जो कहीं विलुप्त-सी हो गयी थी। बहुत ही आनन्द आएगा।
आज होलिका दहन है आप सभी लोग अवश्य आना परन्तु याद रखियेगा कि कोरोना अभी गया नही है इसलिए मास्क लगाना व सेनिटेशन करके आना। हम लोग सामाजिक दूरी के नियमों का पालन करते हुए रातभर होलिका-दहन के कार्यक्रम में सम्मिलित होंगे और होली गायन करेगें।
पहली होली होगी, सिद्धि को दाता विघटन विनाश। होली खेले गिरिजापति नंदन।
इस तरह से विभिन्न होली गाएंगे। आप जरूर आना।
आलू के गुट के खाएंगे, भांग की चटनी होगी और होगी गुजिया। आना हाँ।
कल सुबह छह बजे हम सब लोग मिलेंगे छलहड़ी में खूब रंग खेलेंगे, होली गाएंगे हर घर जाकर बड़ों का आशीर्वाद लेंगे व चोटों को आशीष देंगे, देखो पर शराब नही होली में शराब का सेवन कोई नहीं करेंगे।
देखो आनन्द तो सबको खुशी देकर होता है, किसी का अपमान करके नही।
इसलिये हम बिना नशा किये होली खेलेंगे।
आप आएँगे ना। हमें अति प्रसन्नता होगी। आयेगा जरूर। हम आपकी प्रतीक्षा पलकें बिछाकर करेगें इस साल।
अगले वर्ष हम। हो ना हो।
आप आयेगा जरूर।
आएँगे ना।