सीमांत जिले के जाजर चिंगरी मध्याह्न भोजन माडल (Mid Day Meal) को पूरे देश में लागू किया जाएगा। इसके तहत सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को खाने में मशरूम परोसा जाएगा। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने इसके लिए सभी प्रदेशों को निर्देश जारी कर दिया है।
नेपाल सीमा से लगे आदर्श प्राथमिक विद्यालय जाजर चिंगरी के शिक्षक चंद्रशेखर जोशी प्रयोग करने वाले शिक्षकों में गिने जाते हैं। इसी क्रम में उन्होंने वर्ष 2018 में मशरूम के पौष्टिक गुणों की जानकारी हासिल की और इसे उगाने का प्रशिक्षण लिया। विद्यालय में ही मशरूम का उत्पादन कर उसे मध्याह्न भोजन में बच्चों को परोसना शुरू किया। इससे बच्चों की सेहत में तेजी से सुधार हुआ। उनकी इस पहल को तत्कालीन मुख्य विकास अधिकारी वंदना ने अन्य 25 विद्यालयों में भी शुरू कराया।
शिक्षकों को मशरूम उत्पादन का प्रशिक्षण देने के लिए चंद्रशेखर जोशी को नोडल बनाया गया। मुहिम आगे बढ़ी तो जोशी को शिक्षा विभाग ने देहरादून आमंत्रित किया। मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री के समक्ष उन्होंने अपने माडल की प्रस्तुति दी। इसके बाद राज्य सरकार ने उन्हें पूरे प्रदेश का नोडल बना दिया |
उत्तराखंड की यह पहल मानव संसाधन मंत्रालय (अब शिक्षा मंत्रालय) तक पहुंची। शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने रुचि ली और मशरूम को सभी विद्यालयों के मध्याह्न भोजन में शामिल करने का प्रस्ताव बनाने का निर्देश अधिकारियों को दिया। बीते 28 सितंबर को केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के ज्वाइंट सेकेट्री आरसी मीना ने सभी राज्यों को मध्याह्न भोजन में मशरूम को शामिल करने का निर्देश जारी कर दिया। इसकी प्रति शिक्षक चंद्रशेखर जोशी को भी मिली।
तो इसलिए खास है मशरूम
पौष्टिकता का खजाना मशरू म में प्रोटीन, फोलिक एसिड, विटामिन, पोटेशियम, कापर, जिंक, विटामिन डी प्रचार मात्रा में पाया जाता है। पोषण के इतने स्रोत किसी अन्य उत्पाद में एक साथ नहीं मिलते। जाजर चिंगरी स्कूल का मिड – डे मील माडल पूरे देश में लागू होना उत्तराखंड के लिए बड़ी उपलब्धि है। शिक्षक चंद्रशेखर जोशी बधाई के पात्र हैं। ऐसे नवाचारों पर अधिक से अधिक जोर दिए जाने की जरूरत है।