बीते कुछ सालों मैं केंद्र सरकार से लेकर राज्य सरकार सारी व्यवस्था का निजीकरण करने पर जोर दे रही है। तो आखिर सरकार ऐसा क्यों कर रही है। जैसा कि आपने देखा होगा लोग सरकारी नौकरी पाने के लिए भले ही 10 साल लगा दे लेकिन चाहिए तो सरकारी नौकरी ही। भला क्यों ? सुना है सरकारी नौकरी मैं काम कम तथा नौकरी जाने का कोई भय नही। तो क्या इसका मतलब ये है जो लोग काम नही करना चाहते वो सरकारी नौकरी ढूढ़ते है। अगर ऐसा है तो शायद सरकार ने भी मन बना लिया है कि जो लोग कामचोरी करते है उनको भी आईना दिखाई दे।
निजीकरण को बढ़ावा देने का कारण शायद यह है कि निजीकरण के परिणाम सकारात्मक होते हैं जबकि सरकारी व्यस्था में यह लक्षित नहीं होता। सरकारीकरण के दौर में लापरवाही, भ्रष्टाचार आदि से अपना निजी हित साधने की क्रिया आम हो जाने से निजीकरण को बढ़ावा भी दिया जा रहा हो।
निजीकरण मैं उत्तरदायित्व बना रहेगा उस कंपनी का या फिर उस समूह का जो इसको संचालित करेगा जिसमे सरकार काम नही पूरा होने पर दवाब भी बना सकती है। दूसरे पहलू से देखा जाए तो सरकार मैं बैठे नेता अधिकारी और कर्मचारी अपने तथा अपनो के लिए मन मुताबिक धनार्जन का काम भी कर सकते है।
क्या निजीकरण जरूरी है ?
“सरकार की संपत्ति आपकी अपनी संपत्ति है कृपया इसे नुकसान ना पहुचाये” ये लाइन अपने बहुत जगह लिखी देखी होगी लेकिन इसका असल मतलब क्या है किसी को नही पता यहाँ पर नुकसान ना पहुँचाने से मतलब सिर्फ उन लोगों को दंडित करना है जो लोग किसी सरकारी दफ्तर का शीशा पत्थर मार के तोड़ देता है। ये उनके लिए लागू नही होता जिन्होंने सरकारी दफ्तरों मैं जिंदगी काट दी अपने खुद के लालच मैं जिसके कारण सरकारी कंपनियों को घाटा खाना पड़ा और फिर सरकार ने उसको निजीकरण के दायरे मैं ला दिया। यहाँ पर यह कहना गलत नही होगा कि सिस्टम ने सिस्टम से सिस्टम को बाहर कर दिया।
निजीकरण का आम जनता पर असर
आज के दौर मे निजीकरण का मतलब कम दाम मैं ज्यादा काम वही सरकारी ऑफिस की बात करे तो एक फ़ाइल को आगे बढाने मैं दक्षिणा लगती है। दक्षिणा नही तो आशीर्वाद भी नही वाली नीति अब धीरे धीरे खत्म होने को है। जो लोग ये सोचकर बैठे है कि सरकारी कंपनियों के निजीकरण से नौकरियां बढ़ेगी या फिर बेरोजगारी खत्म हो जाएगी ऐसा हरगिज़ नही होने वाला है। बीते कुछ सालों मैं सरकार ने बैंकों का निजीकरण किया तथा बहुत से बैंकों को समावेश किया तब भी लोगो की नौकरियां गई। आने वाले समय मैं स्कूलों का निजीकरण होगा नवरत्न कंपनियों का निजीकरण होगा सरकारी अस्पतालों का निजीकरण होगा | कुल मिलाकर सरकार ने ठान ली है, कि जो लोग ये सोचकर सरकारी नौकरी के पीछे पड़े है कि हमको काम कम और दाम ज्यादा मिलेगा तो ऐसा नही होने वाला अब सारे पैमाने धरातल पर आ गए है। काम भी ज्यादा होगा और दाम के बारे मे बात ही मत करो।