उत्तराखंड के पिथौरागढ़ (City Pithoragarh) में गुरुवार देर रात भारतीय सेना की स्थानीय इकाई ने सुवाकोट गांव में 60 हजार लीटर के नवनिर्मित पेयजल टैंक का तोड़ दिया। सेना की कार्रवाई का पता चलते ही स्थानीय जनता सड़क पर उतर आई। ग्रामीणों ने सेना की कार्रवाई का विरोध करते हुए हंगामा शुरू कर दिया। बवाल की जानकारी मिलते ही विधायक और प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंच गए। सेना ध्वस्तीकरण की कार्रवाई का कोई ठोस जवाब नहीं दे पाई। जल निगम और सुवाकोट ग्राम पंचायत की ओर से सेना इकाई के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करा दी गई है। प्रशासन ने सार्वजनिक संपत्ति को ध्वस्त करने में उपयोग की गई मशीन को सीज कर दिया गया है।
पिथौरागढ़ जिला मुख्यालय से आठ किलोमीटर दूर सुवाकोट ग्राम पंचायत में 15 दिन पूर्व ही साढ़े छह लाख की लागत से साठ हजार लीटर क्षमता का पेयजल टैंक बनाया गया था। टैंक से करीब तीन हजार की आबादी को पानी सप्लाई हाेना था। गुरुवार की रात करीब दो बजे सेना की स्थानीय इकाई ने इस टैंक को जेसीबी मशीन से ध्वस्त कर दिया। तोडफ़ोड़ की आवाज होने पर ग्राम प्रधान राकेश कुमार की अगुवाई में ग्रामीण मौके की ओ बढ़े तो सेना के जवानों ने उन्हें रोक लिया। इसे एक्सरसाइज बताते हुए मौके पर नहीं जाने दिया गया।
शुक्रवार सुबह पेयजल टैंक, व्यू प्वाइंट और आम रास्ते ध्वस्त मिले। जिसकोे लेकर ग्रामीणों में आक्रोश फैल गया। ग्रामीणों ने इसकी सूचना विधायक, प्रशासन, जिला पंचायत और जल निगम के अधिकारियों को दी। सुबह सात बजे विधायक चंद्रा पंत, जिला पंचायत अध्यक्ष दीपिका बोहरा, एसडीएम (सदर) तुषार सैनी, जल निगम के अधिशासी अभियंता आरएस धर्मशक्तू गांव पहुंच गए। प्रशासन ने सेना की स्थानीय इकाई से सम्पर्क किया। सेना की ओर से संबंधित भूमि को अपना बताया गया। जिसके बाद मौके पर ही भू-अभिलेख मंगाए गए। भू- अभिलेख में सेना के मालिकाना हक की पुष्टि नहीं हुई। उपजिलाधिकारी ने मौके पर खड़ी जेसीबी को सीज कर पुलिस को सौंप दी। दोपहर बाद जल निगम और ग्राम पंचायत की ओर से पेयजल टैंक ध्वस्त करने, व्यू प्वाइंट और आम रास्तों को क्षतिग्रस्त करने के दो मुकदमे जाजरदेवल थाने में दर्ज कराए गए। अब पुलिस इस मामले की जांच करेगी। जांच के बाद अग्रिम कार्रवाई होगी।