जैसा कि आप सभी को पता है कोरॉना महामारी ने पूरे विश्व को अपने आगोश में ले लिया है शायद ही कोई देश होगा जो इस से बचा हो | इस बीमारी का फिलहाल कोई ईलाज नहीं है, हालांकि बहुत से देशों ने इसकी दवा बनाने का दावा किया है लेकिन धरातल पर कोई भी पूर्ण रूप से सफल नहीं हुआ है।
इससे बचाव का मात्र एक ही उपाय है साफ सफाई से रहना और लोगों से दूरी बनाकर रहना जैसा कि कुछ दशकों पहले लोग छुआ छूत को बहुत मानते थे, जो समाज में एक बुराई मानी जाती है। आज के समय में कुछ ही लोग इसको मानते है |लोगों ने छुआ छूत को समाज से दूर ही कर दिया था। लेकिन विचार करने की बात यह है कि छुआ छूत समाज में आया कैसे हिन्दू धर्मो की मान्यतओं के अनुसार ऐसा कही भी नहीं था। प्राचीन काल से ही समाज चार वर्गों में बटा जरूर था लेकिन वो उनके कार्यों के आधार पर। छुआ छूत का कहीं भी ज़िक्र नहीं था।
क्या छुआ छूत जो समाज में आया वह किसी कोरोना जैसी महामारी के कारण आया ?
क्या भूतकाल मै कोई ऐसी बीमारी आई थी जो कोरोना जैसी घातक थी ?
जिस प्रकार कोरोनाकल की जीवन शैली हो गई है इस से अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि सदियों पहले इसी प्रकार की किसी बीमारी का कब्ज़ा हुआ होगा। प्रमाण कुछ भी नहीं है लेकिन तथ्य हो सकते है। जिस प्रकार हम लोग कोरोना के भय से समाज में एक दूसरे से दूरी बना रहे है, जिसको हम सोशल डिस्टैंसिंग बोल रहे है आने वाले भविष्य में हम लोग कोरोंना पॉजिटिव लोगों के साथ कैसा व्यवहार करेंगे ? भले ही निकट भविष्य में यह बीमारी ख़तम हो जाएगी लेकिन यह भी हो सकता है यहां से एक ओर सामाजिक बुराई की शुरुवात हो |