एक चिड़िया थी
चहक उठी जो
पाकर पंख अपार
उड़ी उड़ी वो
छूने नभ कोे
उड़ गयी सात समंदर पार ||
सारा जग घूम लिया
छाना सारा संसार
अनुभव सारे जहाँ का लेकर
लौट आयी उस द्वार ||
उस द्वार..
जहां घरौंदा जोह रहा था
जाने कबसे उसकी बाट
जानता था जैसे चिड़िया
लौट आयेगी उसके पास ||
जब चहक चहक संसार घूम
वो चिड़िया थक जायेगी
तब सोने चैन की नींद वो
वापस घर लौट आयेगी ||
बैठ के अपनी डाली पर जब वो
चीं चीं करके चहकेगी
उसकी जानी पहचानी आवाज को सुन
हर डाली डाली खिल जायेगी ||
बिन मौसम बसंत सा
उस आंगन में आ जायेगा
वो सूखे तिनकों का घौंसला
फिर से हरा भरा हो जायेगा ||