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बेड़ु पाको बारो मासा | हिमालयन बेडू (Himalayan Fig) फल

Fruit Himalayan Bedu

बेडू एक ऐसा फल है (Himalayan Fig) जिसने देश ही नहीं विदेशों तक में अपनी पहचान बनाई है जिसका श्रेय जाता है स्व बृजेन्द्र लाल शाह को आइये जानते है कैसे। 1952 में नैनीताल के राजकीय इंटर कॉलेज से पहली बार एक लोकगीत “बेडू पाको बारामासा” का प्रसारण हुआ कुछ समय बाद एक अंतरराष्ट्री सम्मेलन में भी इस गीत से जनो को सम्मानित किया। जिसकी वजह से विश्व में इस लोकगीत को पहचान मिली।

गुणों का भंडार है यह फल (Himalayan Fig)

जैसा कि उत्तराखंड प्रदेश विविधताओं से घिरा हुआ है जहां अनेक जड़ी बूटियों का भंडार है बेडू फल जो मध्य हिमालई क्षेत्रों में मुख्य रूप से पाया जाता है जो कि एक जंगली फलों कि गिनती में आता है। यह खाने में मीठा रसीला होता है।
यह पेट में कब्ज की समस्या को दूर करता है तथा पाचन तंत्र को ठीक रखता है।

व्यवसायिक महत्व

इस फल को व्यवसायों के महत्त्व से भी देखा गया है जिससे जेम, स्क्वेश तथा जैली बनाया जाता है। जिस से कुटीर उद्योग को भी बढ़ावा दिया जा सकता है कच्चे फलों से सब्जी और चटनी भी बनाई जाती है जो खाने मै बहुत ही स्वादिष्ट होती है |

फल (Himalayan Fig) की लोकप्रियता

भले ही बेडू फल अधिकांश लोगो ने देखा ना हो शायद खाया भी ना हो फिर भी इस फल ने विश्व भर में पहचान बना ली है। उत्तराखंड के अलावा यह फल हिमाचल,कश्मीर तथा नेपाल में भी पाया जाता है लेकिन जितनी ख्याति इस फल को उत्तराखंड में मिली उतना कहीं नहीं मिली।

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