वैसे तो पूरे हिमालय को महादेव का निवास स्थान माना जाता है हिमालय पर्वत की अलग अलग श्रंखलाओं में अनेकों स्थान ऐसे है जो अभी भी अनछुए है जहां पहुंचना बहुत ही कठिन होता है। इन्हीं श्रंखाबद्ध क्रम में एक स्थान ऐसा भी है जो हमेशा बर्फ की सफेद चादर ओढ़े है।
महादेव का एक और रूप जो हिमाचल की उत्तरी पहाड़ियों में स्थित श्रीखंड महादेव (Shrikhand Mahadev) के नाम से जाना जाता है। महादेव हमेशा से ही पूरे हिमालय पर्वत पर निवास करते है। चाहे वह अमरनाथ हो, केदानाथ हो या कैलाश मानसरोवर। श्रीखंड महादेव जो कि समुद्र तल से लगभग 18 हजार फीट की ऊंचाई पर है। जहां से देखने पर ऐसा प्रतीत होता है मानो आप स्वर्ग के दरवाज़े पर हो। इसके चारों और ऐसा प्रतीत होता है जैसे सफेद बर्फ की कालीन और सफेद कोहरे की चादर ओढ़े हो।
मान्यता
स्थानीय मान्यता के अनुसार जब भस्मासुर के अत्याचार बहुत बढ़ गए थे तब भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण कर भस्मासुर को नृत्य के लिए राजी किया था। नृत्य करते करते उसने अपना हाथ अपने ही सिर पर रख लिया और वह भस्म हो गया था। मान्यता है कि इसी कारण आज भी यहां की मिट्टी लाल दिखाई देती हैं
पर्यटन का महत्व
हिमाचल प्रदेश को पर्यटन की दृष्टि से काफी अच्छी तरह मॉडल किया गया है। जिस कारण यह प्रदेश पर्यटन के लिए काफी विकसित है। जहां देश विदेश से लोग घूमने और ट्रेकिंग को आते है। इन्हीं में से हर साल श्रीखंड महादेव के दर्शन को भी आते है जिसमें लंबी ट्रेकिंग के दौरान यहां तक पहुंचते है।
यात्रा के पड़ाव और बसेरा
श्रीखंड महादेव (Shrikhand Mahadev) की यात्रा जुलाई माह में प्रारंभ होती है जिसे श्रीखंड महादेव ट्रस्ट द्वारा आयोजित किया जाता है। यह ट्रस्ट स्वास्थ्य और सुरक्षा संबंधी कई सुविधाएं प्रशासन के सहयोग से उपलब्ध करवाता है। जिसने आपके मेडिकल से सम्बन्धित जांच होती है। सिंहगाड, थाचड़ू, भीमडवारी और पार्वतीबाग में कैंप स्थापित हैं। जहां आप अपनी सहूलियत के हिसाब से रुक सकते है। यात्रा की कुल दूरी 35 किलोमीटर है जो भारी जोखिमों से भरा है। सिंहगाड में पंजीकरण और मेडिकल चेकअप की सुविधा है, जबकि विभिन्न स्थानों पर ठहरने की सुविधा है। कैंपों में डॉक्टर, पुलिस और रेस्क्यू टीमें तैनात रहती हैं। यात्रा के तीन पड़ाव है सिंहगाड़, थाचड़ू, और भीम डवार है। आप अपने इच्छा अनुसार इन स्थानों पर रुक रुक कर यात्रा कर सकते है।