Skip to content

एक सत्य तो दूसरा था सादगी का श्रेष्ठतम पुजारी | 02 October

Gandhi Ji, 02 October

मैं आज के दिन को आधुनिक भारतवर्ष का स्वर्णिम दिन मानता हूँ। क्योंकि आज के ही दिन दो महानुभावों का आभिर्भाव हुआ | जिनमें एक थे मोहन दास करमचंद गांधी जिनको विश्वकवि रवीन्द्र नाथ टैगोर ने “महात्मा” (Mahatma) नामक उपाधि से अलंकृत किया था | नेताजी सुभाष बाबू ने उन्हें “राष्ट्रपिता” कह कर पुकारा। गांधी जी सदैव सत्य और अहिंसा के मार्ग में चलते रहे और दुनिया को एक राह दिखाई |

“गांधी जी एक व्यक्ति मात्र नहीं अपितु एक विचार हैं” वह हमेशा प्रासंगिक थे, आज भी प्रासंगिक हैं और भविष्य में भी रहेंगे। आज की इस साम्राज्यवादी और विस्तारवादी सल्तनतों के लिए भी गांधी जी एक आईने की तरह हैं | उनको यदि “वैश्विक नेता” कहा जाता है, तो इसमें कोई दोराय नहीं है। उनके जन्मदिन को “अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस” के रूप में मनाया जाता है। जितना सम्मान उन्हें भारतवर्ष में प्राप्त है उतना ही उन्हें अन्य राष्ट्रों में भी प्राप्त है।

सत्य, अहिंसा और दृढ़ संकल्प के बल पर उन्होंने असाधारण कार्य करके दिखलाए। ब्रिटेन के पूर्व पीएम विस्टन चर्चिल ने उन्हें “अर्धनग्न फकीर” कहा था। आज वही महात्मा गांधी सेंट्रल हाल लंदन में चर्चिल के साथ ही विराजमान है। वे एक स्वप्नदृष्टा व्यक्ति थे। स्वदेशी, ग्रामीण स्वराज्य आदि को वे राष्ट्र की प्रगति के महत्वपूर्ण पहिये मानते थे | गांधी जी आज हमारे बीच नहीं होते हुए भी हमारे विचारों में हमेशा जीवित रहेंगे।

दूसरे महानुभाव हम सबके प्रिय पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी जो जीवन भर “सादा जीवन उच्च विचार” (Simple Living High Thinking) को परिभाषित करते रहे। उन्होने “जय जवान जय किसान” के नारे से यह संदेश देने का प्रयास किया कि किसी भी देश के लिए सैनिक और अन्नदाता किसान कितने महत्पूर्ण हैं। जब शास्त्री जी रेल मंत्री थे, तो काशी आने पर उनका भाषण होना था। मैदागिन में जहां वो रुके थे, वहां से जब वो निकल रहे थे, तो उनके एक सहयोगी ने उनको टोका कि आपका कुर्ता साइड से फटा है। शास्त्री जी ने विनम्रता से जवाब दिया कि गरीब का बेटा हूं। ऐसे रहूंगा, तभी गरीब का दर्द समझ सकूंगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *