Skip to content

पहाडों मैं कई गाँव तो भूतिया घोषित हो चुके है, जहाँ जाने मै भी लोग डरने लगे है

Pahadi Log, Migrate Image Issue

रोजगार की समस्या से झूझते हुए पहाड़ के घरों में लटकते ताले और गाँव में दूर दूर तक फैला सन्नाटा ये बताने के लिए काफी है कि किस तरह से लोग दुखी है दो वक्त की रोटी की जुगत मै उत्तराखंड के गांव पलायन की समस्या के कारण पूरी तरह खाली हो गए हैं | भले ही सरकार सालों से पलायन को रोकने मै असमर्थ रही हो लेकिन पलायन को रोकने के लिए अनेक प्रकार के प्रयास कर रही है राज्य पलायन आयोग ने महिनो के अध्ययन के बाद कई मुद्दों पर रिपोर्ट तैयार कर मुख्यमन्त्री को सौंप दी है | 84 पन्नों की इस रिपोर्ट में प्रदेश के ग्राम पंचायतों से आंकड़े जुटाए गए हैं. 6 पर्वतीय जिलों के 30 विकास खंडों में पलायन की बात सामने आई है। जिनमे हज़ारों गाँव बनज़र बीरान पड़े है। खास बात यह भी है की पलायन आयोग के काफी कर्मचारी खुद पहाडों से पलायन कर चुके है।

पहाडों मैं कई गाँव तो भूतिया घोषित हो चुके है, जहाँ जाने मै भी लोग डरने लगे है।

हालांकि बहुत से लोग जो नौकरी से तंग आ गए है तथा सुकूँन की जिंदगी जीना चाहते है वो पहाडों को वापस लौट तो रहे है लेकिन सुविधाएं न मिलने के कारण टिक नही पा रहे। इस स्थिति मै सरकार को सुनियोजित होकर पलायन को रोकने के साधन तलाशने होंगे साथ ही सारी सुविधाएं पहाडों तक पहुॅचानी होगी जिस से लोगो को रोजगार तो मिलेगा ही साथ ही सुविधाएं पूर्ण रूप से होने के कारण पलायन पर रोक लगाई जा सकेगी |

पलायन को रोकने के कुछ निम्न उपाय अगर सरकार करे तो जरूर ही पलायन रुकेगा भी और राज्य की आमदनी भी बेहतर होगी।

  • युवाओ को आधुनिक तकनीक की कृषि उपयोगी ट्रेनिंग देकर जिसमे मशरूम की खेती, मडुए की खेती, पहाड़ी दालों की खेती और मसालों की खेती।
  • लघु उधयोगों को बढ़ावा देकर।
  • हथकरघा उद्योग जैसे निगालू से बनी वस्तुए।
  • पर्यटन को बढ़ावा देकर।
  • उत्तराखंड मै होने वाले साहसिक खेलों को बढ़ावा देकर।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *