भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष तीरथ सिंह रावत को 10 फरवरी को प्रदेश के 9 वें मुख्यमंत्री रूप (Uttarakhand’s 10th Chief Minister) में चुना गया साथ ही 11 फरवरी को राजय पाल बेबी रानी मौर्य ने राजभवन में आयोजित समारोह का आयोजन की गोपनीयता की शपथ दिलाई।
भाजपा कार्यालय में भाजपा विधायक दल की एक महत्वपूर्ण बैठक हुई। इस बैठक में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने ही विधायक नेता के रूप में पौड़ी गढ़वाल सांसद तीरथ सिंह रावत के नाम का प्रस्ताव रखा और सभी विधायकों के मुहर लगा दी।
तीरथ सिंह रावत के बारे में कुछ खास:
बात करते है श्री तीरथ सिंह रावत जी (Tirath Singh Rawat) की तो इनका जन्म पौड़ी गढ़वाल, उत्तराखण्ड में 9 अप्रैल 1964 को उनका हुआ था। उनके पिताजी का नाम श्री कलम सिंह रावत, पत्नी डॉक्टर रश्मी त्यागी रावत और एक बेटी लोकांक्षा है पहले पहल रावत जी आरएसएस के लिए प्रचारक का काम करते थे। इन्होने अपनी आजीविका चलने के लिए पीसीओ (फ़ोन बूथ ) खोला था फरवरी 2013 से दिसम्बर 2015 तक उत्तराखण्ड भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रहे।
तीरथ सिंह रावत पहली उत्तराखंड सरकार 2000 में पहले शिक्षा मंत्री भी रहे है। तीरथ सिंह रावत राम जन्म भूमि आंदोलन में 2 महीने जेल में भी रहे और साथ ही राज्य आंदोलनकारी के रूप से भी जाने जाते हैं। मुज्जफरनगर से गढ़वाल शहीद यात्रा का नेतृत्व भी उन्होंने किया। रावत जी कहते हैं कि वे संघ के लिए काम किया लेकिन राजनीति के बारे में सोचा नहीं था। वे कहते हैं “मैं अटल जी को अपनी प्रेरणा मानता हूं और इन की सोच को ले कर ही काम करूंगा।” तीरथ जी ने कहा “मुझे जो जिम्मेदारी सौंपी गयी है, मैं इस में खरा उतरने की कोशिश करूंगा। और सब को साथ ले कर चलने की पूरी कोशिश करूंगा करूंगा।”
सीम तीरथ सिंह रावत के पास वक्त कम और चुनौतियां अधिक:
श्री तीरथ सिंह रावत तो उत्तराखंड की कमान तो मिल गई है, लेकिन उत्तराखंड का ताज किसी कांटे से कम नहीं है, क्योंकि नए सीएम के पास वक्त कम है और चुनौतियां ज्यादा है या यूं कहे चुनौतियां का एक पहाड़ उनके सामने खड़ा है, क्योंकि जहां से त्रिवेंद्र सिंह रावत ने छोड़ा है। उसे 1 साल में पूरा कर पाना बहुत मुश्किल है, अब ये चुनौतियां क्या हैं? और कैसे करेंगे?
इस चुनौतियों को निपटाएंगे ये अब कहना मुश्किल है आओ जानते हैं क्या क्या चुनौतियां हैं-
- पहली चुनौती- उप चुनाव जीतकर विधानसभा का सदस्य बनाना है तभी मुख्यमंत्री बने रह सकते हैं।
- अफसर शाही पर लगाम लगाना- उत्तराखंड सरकार पर हावी हो चुकी अफसर शाही कॉकस को तोड़ना होगा। कई अफसर तो इतने बेखौफ हो चुके हैं कि वे मीटिंग में ही नहीं जाते थे। अब इन लोगों को कैसे रास्ते पर लाया जाये ये भी एक समस्या है।
- संगठन को मजबूत करना, पार्टी के अंदर तो पहले से ही खेमे बजी चल रही है ऐसे में यह बहुत बड़ी समस्या हो जाती है की पार्टी को एक साथ कैसे बनाया जाये। इस खेमे बजी में कैसे लगाम लगाई जाये ये भी बहुत बड़ी चुनौती होगी।
- वक्त की कमी- तीरथ सरकार के पास समय बहुत कम है बस एक साल का ही वक्त है तीरथ सरकार कोई भी निर्णय सिर्फ 8 – 10 माह तक ही ले सकेंगे ऐसे में काम पूरा करना ये भी बहुत बड़ी चुनौती होगी।
- पुरानी सरकार की नाकामियों का जबाब देना है- तीरथ सरकार को पुराणी नाकामियों से निपटना होगा और काम करके जनता को यह संदेश देना होगा कि सरकार उन के साथ है।
- पुराने फैसलों को बदलना- कुछ फैसले तो इतने पुराने हो गए है कि उन फैसलों को वापस लेना बहुत मुश्किल है जिसमें देवस्थानम बोर्ड के गठन का फैसलासबसे बड़ा है। गैरसैण को मंडल बनाने का फैसला भी ऐसा ही है।
- सिस्टम को समझना- तीरथ सिंह रावत के सामने कम प्रशासनिक अनुभव बड़ी चुनौती है। बीजेपी में रह कर राजनीति तो जम कर की मगर प्रशासनिक अनुभव कम है। इसीलिए सिस्टम को समझना और निपटना बड़ी चुनौती होगी।
- किसान आंदोलन की आंच से निपटना- किसान आंदोलन का असर हरिद्वार और उधम सिंह नगर में खूब दिख रहा है ऐसे में 2022 के चुनाव से पहले इस आंदोलन को कम करना आसान नहीं होगा।
- 2022 में बीजेपी को जीत दिलाना- साल 2017 में पार्टी 57 विधायकों के साथ सरकार में आयी, ऐसी जीत दुबारे से दिलाना भी एक बड़ी चुनौती होगी।
- सब का साथ सब का विकास- तीरथ सरकार के सामने सब को साथ ले कर चलना और विकास करना भी बड़ी चुनौती है क्योंकि पिछली सरकार पर एक वर्ग के लिए काम करने का आरोप लगता रहा है।
तीरथ मंत्रिमंडल का विस्तार:
तीरथ मंत्रिमंडल का विस्तार हो गया है। 12 मार्च को चार नए चेहरे समेत 11 मंत्रियों को शामिल किया गया है। रावत मंत्रिमंडल में मदन कौशिक को छोड़ कर पूर्ववर्ती सरकार के सभी मंत्रियों को जगह दी गयी है। राज भवन में आयोजित समारोह में बेबीरानी मौर्य ने 12 मार्च शाम को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई।
इन में 11 मंत्रियों में से आठ को कैबिनेट मंत्री जबकि तीन को राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) का दर्जा दिया गया रावत मंत्रिमंडल में शामिल नए चेहरों में कालाढूंगी से विधायक बंशीधर भगत, डीडीहाट के विधायक बिशन सिंह चुफाल, मसूरी के विधायक गणेश जोशी और हरिद्वार ग्रामीण से विधायक स्वामी यतीश्वरानंद हैं इनमे से भगत, चुफाल और जोशी को कैबिनेट मंत्री के रूप में जबकि यतीश्वरानंद को राजयमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के रूप में जगह दी गयी।
उत्तराखंड में मुख्यमंत्री समेत मंत्रियों की संख्या 12 हो सकती है।